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“और आज हमने ‘टर्म्स एंड कंडीशन्स अप्लाई’ को पुनर्मुद्रण के लिए भेज दिया। मात्र 10 महीनों में हमने इसका पहला संस्करण समाप्त कर लिया है। 14 दिसम्बर 2012 से हमने इसकी प्रीबुकिंग शुरू हुई थी और 14 जनवरी 2013 को यह किताब छपकर आ गई थी। दिव्य प्रकाश की कहानियों की यह किताब मूलरूप से ऑनलाइन दुकानों से ही बिकी है। पहला संस्करण 1100 का था। हालाँकि यह संख्या बहुत छोटी है, लेकिन महत्वपूर्ण बात यह है कि हिंदी किताबों के लिए ऑनलाइन शॉपिंग एक बहुत बड़ी संभावना के रूप में उभरा है। बाज़ार के जानकार यह मान रहे हैं, एक पर एक हो रहे मार्केट सर्वेक्षण से यह बात निकलकर सामने आ रही है कि भारत में इंटरनेट की सेंध लगभग 8-10 करोड़ जनता तक ही है। इनमें से भी लगभग नगण्य प्रतिशत ऑनलाइन खरीद-फरोश्त (रेलवे का टिकट बुक करना, ऑनलाइन फॉर्म भरना, बिल जमा करना आदि छोड़कर) करता है। लेकिन इंटरनेट की पहुँच और इंटरनेट पर आ चुके लोगों द्वारा ऑनलाइन शॉपिग में तेज़ वृद्धि देखी जा रही है। कम-से-कम ‘कैश ऑन डिलीवरी’ के आ जाने से बहुत से लोग ज़रूरत के सामान ऑनलाइन खरीदने लगे हैं। फ्लिपकार्ट, इंफीबीम, ईबे, होमशॉप18, स्नैपडील, बुकअड्डा, अमेज़ॉन आदि के जो रनर (ऑर्डर आने पर प्रकाशक/वितरक के यहाँ से प्रतियाँ प्राप्त करने वाले कर्मी) हमारे यहाँ आते हैं, उनकी मानें तो पिछले एक साल में किताबों के ऑर्डर में 3-4 गुना की वृद्धि हुई है। इंफीबीम को नवम्बर 2012 में किताबों के लगभग 300 ऑर्डर प्रतिदिन मिलते थे, अब यह आँकड़ा 1200 की ऑर्डर-संख्या को पार कर गया है। यानी Hind Yugm Prakashan और हिंदी किताबों के लिए भी यह बेहद उम्मीद की बात है।
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